Diabetes Type 1 and Type 2 in Hindi: दो तरह की होती है शुगर की बीमारी, जानें अंतर और इसका इलाज

Diabetes Type 1 and Type 2 in Hindi: दो तरह की होती है शुगर की बीमारी, जानें अंतर और इसका इलाज:- आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में गलत खानपान, असंतुलित जीवनशैली, प्रदूषित पर्यावरण के कारण शहरों में रहने वाली देश की तीन चौथाई आबादी किसी न किसी रूप में मधुमेह से पीड़ित है।

हमारे देश की राष्ट्रीय राजधानी को तो मधुमेह की वैश्विक राजधानी कहा जाने लगा है। आज की स्थिति तो यह हो गई है कि मधुमेह को लोग प्रायः गंभीरता से नहीं लेते क्योंकि उनको यह लगता है कि मधुमेह एक ऐसी बीमारी है जिससे उनकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में कोई फर्क नहीं पड़ता।

लेकिन वे यह नहीं जानते कि मधुमेह हो सकता है की रोज़मर्रा की ज़िंदगी को प्रभावित न करता हो, लेकिन यदि मधुमेह को बहुत से जटिल रोगों की जननी कहा जाये तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं है। तो, आइये, जानते हैं कि क्या है मधुमेह और कैसे करें इससे बचाव और इलाज।

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क्या होता है मधुमेह

मधुमेह या डायबिटीज़ वह बीमारी है जो आपके शरीर के ग्लूकोज और रक्त में शर्करा के नियमन को प्रभावित करती है। दरअसल, ग्लूकोज आपके शरीर के संचालन  के लिए ऊर्जा का कार्य करता है। जब यह शरीर में संतुलित अवस्था में होता है तो यह शरीर का पोषण करता है और ऊर्जा प्रदान करता है। लेकिन असंतुलित होने पर पूरे शरीर का संचालन ठप कर देता है। इसको शरीर की विभिन्न कोशिकाओं में प्रवेश करने के लिए जिस कुंजी की आवश्यकता होती है उसे कुंजी इंसुलिन कहते हैं।

मधुमेह के रोगी के लक्षण

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Diabetes-Source: Pixabay

मधुमेह के रोगी में प्रायः निम्नांकित लक्षण दिखाई देते हैं:

  • बहुत प्यास लगना|
  • लगातार थकान की अनुभूति|
  • लगातार मूत्र त्याग की इच्छा का होना|
  • सामान्य से अधिक भूख की अनुभूति
  • जख्म या चोट जो मुश्किल से ठीक होती है|
  • दृष्टि का धुंधलापन|

मधुमेह के प्रकार

सुविधा की दृष्टि से मधुमेह के रोगियों को दो वर्गों – टाइप-1 और टाइप-2 (Diabetes Type 1 and Type 2) में बाँट सकते हैं। जब किसी व्यक्ति को टाइप 1 मधुमेह होता है, तो इसका अर्थ यह है कि उनका शरीर इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर रहा है| जब किसी व्यक्ति को टाइप 2 मधुमेह होता है तो इसका अर्थ यह है कि उसका शरीर इंसुलिन का उत्पादन तो कर रहा है

लेकिन उसका शरीर इंसुलिन के प्रति उस प्रकार प्रतिक्रिया नहीं कर रहा, जिस प्रकार उसे करना चाहिए| जैसे जैसे रोग बढ़ता है, शरीर पर्याप्त इंसुलिन बनाना बंद कर देता है| ये दो प्रकार के मधुमेह रक्त शर्करा के उच्च स्तर के कारण हो सकते हैं| चाहे इंसुलिन का उत्पादन न हो पाना हो या शरीर द्वारा उसके प्रति उपयुक्त प्रतिक्रिया न कर पाना हो, दोनों ही स्थितियाँ व्यक्ति को मधुमेह संबंधी जटिलताओं के प्रति संवेदनशील बनाती हैं|

क्या है इन दोनों प्रकारों के रोगियों में अंतर

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Diabetes Type 1 and Type 2 (Source: Pixabay)

मधुमेह टाइप 1 (Diabetes Type-1 ) के रोगियों में उपरोक्त लक्षणों के अतिरिक्त, प्रायः वजन घटना, मूड बदलना और चिड़चिड़ापन जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। जबकि टाइप 2 मधुमेह के रोगियों के अन्य लक्षणों में हाथों या पैरों में सुन्न होना शामिल है| इस तथ्य के बावजूद कि टाइप 1 और टाइप 2 (Diabetes Type 1 and Type 2) में अधिकांश लक्षण समान होते हैं, फिर भी, ये लक्षण दोनों प्रकार के रोगियों में समान तरीके से उपस्थित नहीं होते|

टाइप 2 मधुमेही (Diabetes Type 2) बिना लक्षणों के वर्षों तक रह सकता है| उसमें लक्षण प्रदर्शित होना धीरे धीरे शुरू होता है| उसको रोग का पता केवल तभी पता चल पाता है जब जटिलताएँ विकसित हो चुकी होती हैं| इसके विपरीत, टाइप 1 मधुमेही में लक्षण कुछ सप्ताहों के भीतर ही विकसित हो जाते हैं|

टाइप 1 मधुमेह (Diabetes Type 1) सामान्यतः किशोरावस्था या बचपन में विकसित होता है|. टाइप 1 मधुमेह में शरीर का प्रतिरोधक तंत्र अपनी स्वयं की स्वस्थ कोशिकाओं से इस प्रकार लड़ता है कि जैसे हानिकारक जीवाणुओं और विषाणुओं से लड़ता हो| यह इंसुलिन उत्पन्न करने वाली बीटा कोशिकाओं पर आक्रमण करता है जिसके कारण, शरीर इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता| कुछ चिकित्सा वैज्ञानिकों का मानना है कि टाइप 1 मधुमेह पर्यावरणीय एवं आनुवांशिक कारणों से होता है|

टाइप 2 मधुमेह (Diabetes Type 2) के रोगी का शरीर इंसुलिन का उत्पादन तो करता है लेकिन शरीर इसका भलीभाँति उपयोग नहीं कर पाता। अर्थात, इंसुलिन शर्करा को ऊर्जा में नहीं बदल पाता है। इस प्रकार के मधुमेह के रोगी का अग्न्याशय क्षतिपूर्ति के प्रयास में अधिक इंसुलिन का उत्पादन करता है| इससे रोगी के रक्त में ढेर सारा ग्लूकोज इकट्ठा हो जाता है|

यद्यपि किसी व्यक्ति के इंसुलिन रोधी होने के संबंध में चिकित्सा वैज्ञानिक एकमत नहीं हैं, फिर भी, निष्क्रियता और अधिक वजन जैसी जीवनशैली को इंसुलिन रोधी होने का प्रमुख कारण सभी मानते हैं। इसके अतिरिक्त, पर्यावरणीय एवं आनुवांशिक कारक भी उत्तरदायी हो सकते हैं| टाइप 2 की अपेक्षा टाइप 1 कम सामान्य होता है|

Diabetes Type-1 के लिए जोखिम के कारक

टाइप 1 मधुमेह के लिए निम्नांकित कारक जोखिम वाले माने जाते हैं:

  • माता-पिता का मधुमेही होने का इतिहास
  • भौगोलिक कारक
  • आयु (किशोरों एवं बच्चों में सामान्य)
  • आनुवांशिक

चिकित्सा वैज्ञानिकों का मानना है कि टाइप 1 मधुमेह(Diabetes Type 1) के जोखिम के कारक प्रायः नियंत्रण के बाहर होते हैं अतः इनको रोक पाना बहुत मुश्किल है।

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Diabetes Type-2 के लिए जोखिम के कारक

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Diabetes Type 1 and Type 2 in Hindi (सोर्स: Pixabay)

टाइप 2 मधुमेह के लिए निम्नांकित कारक जोखिम वाले माने जाते हैं:

  • पूर्व मधुमेह
  • मोटापा
  • अधिक आयु
  • असंतुलित जीवन शैली
  • गर्भावस्था की मधुमेह
  • आनुवांशिक

चिकित्सा वैज्ञानिकों का मानना है कि टाइप 2 मधुमेह (Diabetes Type 2) के जोखिम के कारक प्रायः नियंत्रण किए जा सकते हैं अतः इनको रोका जा सकता है।

कैसे पता लगाएँ व्यक्ति के मधुमेही होने का  

दोनों प्रकार की मधुमेह की जांच के लिए परीक्षण को एवन-सी (ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन) परीक्षण कहा जाता है| यह आपके रक्त में शर्करा के स्तर को निर्धारित करने के लिए किया जाने वाला एक रक्त परीक्षण है|  टाइप 1 मधुमेह का पूर्णत: उपचार तो संभव नहीं है, फिर भी, रोगी नियमित रूप से रक्त में शर्करा के स्तर की जांच और अपने शरीर में आवश्यकतानुसार इंसुलिन घुसा कर स्वस्थ और संतुलित बना रह सकता है। इसके विपरीत, टाइप 2 मधुमेह(Diabetes Type 2) को उपयुक्त व्यायाम और आहार-विहार से परिवर्तित या नियंत्रित किया जा सकता है|

मधुमेह का आपके शरीर पर प्रभाव

आपकी रक्त शर्करा आपके स्वास्थ्य का एक अत्यंत महत्वपूर्ण अंग है| जब उसका प्राकृतिक संतुलन लंबे समय तक विचलित रहता है, तो आपको मधुमेह विकसित होने का खतरा हो जाता है| मधुमेह एक स्थिति है जो आपके शरीर में इंसुलिन नामक हार्मोन का प्रयोग और उत्पादन करने की क्षमता को प्रभावित करती है। यदि मधुमेह का प्रबंधन समय रहते नहीं किया जाता तो यह स्ट्रोक, हृदय रोग, लिवर की क्षति, और किडनी की क्षति जैसी गंभीर जटिलताएँ उत्पन्न कर रकता है।

जब आपको मधुमेह होता है, अग्न्याशय इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता और यदि करता है, तो यह अधिक नहीं होता| इससे रक्त शर्करा स्तर बढ़ जाता है और आपकी कोशिकाएं बिना ऊर्जा के चलती हैं|  इससे शरीर का लगभग सम्पूर्ण तंत्र प्रभावित होता है।

अग्न्याशय द्वारा कम इंसुलिन या शून्य उत्पादन के कारण सेवन की गई वसा को ऊर्जा में बदलने के लिये वैकल्पिक हार्मोन्स का उपयोग करना होता है| इसके परिणामस्वरूप, केटोन बॉडीज,अम्लता और अन्य विषैले रसायनों का स्तर उच्च हो जाता है

जिससे मधुमेही केटोएसिडोसिस होता है| यह स्थिति थकान, अति मूत्र त्याग, अत्यधिक प्यास और सांस में मधुर गंध के कारण गंभीर और जटिल होती है| अन्य जटिलताओं में मधुमेही हाइपरग्लीसेमिक हाइपरसोस्म्लर सिंड्रोम (एचएचएस) – बिना केटोन्स के शर्करा का  उच्च स्तर – और गैस्ट्रोपरेसिस हैं| मधुमेह आपकी किडनी को आपके रक्त से व्यर्थ उत्पाद को भलीभाँति छानने से रोक कर क्षतिग्रस्त कर सकता है|

मूत्र में प्रोटीन होने का अर्थ यह है कि मधुमेह आपकी किडनी को प्रभावित कर रहा है| मधुमेह उच्च रक्तचाप के साथ साथ,  हृदय को भी तनावग्रस्त कर सकता है| आपको अथेरोस्क्लेरोसिस, इंटेरमिटटेंट क्लाउडीकेशन और पेरिफेरल न्यूरोपैथी विकसित हो सकता है|

मधुमेह आपकी त्वचा को प्रभावित कर सकता है| उच्च रक्त शर्करा पानी की कमी और नमी की कमी के कारण आपके पैरों को शुष्क और दरार युक्त बना सकता है| अन्य जटिलताओं में प्रस्फुटित जैनथोमइटोटिक, डिजिटल स्क्लेरोसिस और मधुमेही डेर्मोपैथी शामिल हैं|

मधुमेह, मधुमेही न्यूरोपैथी की ओर ले जा सकता है जो आपके दर्द, ताप और शीत के प्रति प्रत्यक्षण प्रभावित कर सकता है| एक गर्भवती स्त्री को गर्भावस्था संबंधी मधुमेह हो सकता है जिससे उच्च रक्तचाप (एक्लेम्पसिया और प्री एक्लेम्पसिया) हो सकता है|

कैसे करें मधुमेह का प्रबंधन

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Diabetes Type 1 and Type 2 in Hindi (सोर्स: Pixabay)

टाइप-2 मधुमेह(Diabetes Type 2) जीवनशैली से संबन्धित स्थिति होने के कारण परिवर्तित किया जा सकता है| आप जो कुछ खाते हैं वह या तो इंसुलिन प्रतिरोध को बढ़ावा देता है या बचाव करता है – जो मधुमेह की ओर ले जाता है| आप अपने आहार-विहार में परिवर्तन करके मधुमेह से बचाव कर सकते हैं। यदि आपको पहले से ही मधुमेह है तो निम्न ग्लाइसेमिक लोड युक्त भोजन आपका मधुमेह से बचाव कर सकता है। हरी सब्जियाँ पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं और मधुमेह को परिवर्तित करने और उससे बचाव करने के लिए सर्वाधिक प्रभावशाली भोजन हैं|  

जो लोग अधिक मात्रा में हरी सब्जियों का सेवन करते हैं उनको टाइप 2 मधुमेह(Diabetes Type 2) होने का खतरा कम होता है। प्रतिदिन हरी सब्जियाँ खाने से मधुमेह विकसित होने का खतरा 90% कम हो जाता है| स्टार्च रहित सब्जियों में प्याज, कालीमिर्च, बैंगन, लहसुन और मशरूम भी शामिल हैं| इनमें फिटोरसायन और फाइबर होता है और इनका रक्त शर्करा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता|  मसूर की दाल और फलियाँ सामान्यतः कार्बोहाइडेरेट का आदर्श स्रोत होती हैं|  

फलियों में फाइबर का उच्च स्तर और ग्लाइसेमिक लोड कम होता है| फलियों का सेवन मलाशय के कैंसर और मधुमेह विकसित होने खतरे को कम करता है| बादाम में दाहरोधी प्रभाव, निम्न ग्लाइसेमिक लोड और वजन घटाने की सुविधा होती है| फलों में एंटीऑक्सीडेंट, फाइबर होता है और वे मीठे की इच्छा को स्वास्थ्यप्रद तरीके से पूरा करते हैं|

मधुमेहियों के लिए, कम शर्करा वाले फल जैसे, खरबूजा, संतरा, जामुन और कीवी का सेवन करना चाहिए| रक्त शर्करा बढ़ाने वाले भोजन से बचना चाहिए क्योंकि मधुमेह उच्च रक्त शर्करा स्तर के कारण ही होता है| चीनी की मिठास वाले पेय, और अन्य शोधित भोजन, मिठाई और फलों का स्वरस आपके रक्त में ग्लूकोज का शोषण होने में बाधक होते हैं|

ये इंसुलिन प्रतिरोध और हाइपरग्लाइसेमिया को बढ़ावा देते हैं| शोधित कार्बोहाइडेट्स, जैसे सफ़ेद ब्रेड, सफ़ेद पासता और सफ़ेद चावल में अनाज का मौलिक फाइबर नहीं होता है| इसके कारण वे रक्त ग्लूकोज को तेजी से उच्च स्तर के ओर ले जाते हैं| फ्रेंच फ्राई और आलू के चिप्स जैसे तले हुये खाद्य पदार्थ उच्च ग्लाइसेमिक खाद्य पदार्थ होते हैं और उनके तैल में निम्न पोषक कैलोरी होती है| मधुमेही को सहज ही हृदय रोगी बनाती है| बहुत से मधुमेहियों की मृत्यु प्रमुख कारण हृदय रोग होता है|

ट्रांस वसा का थोड़ी मात्रा में भी सेवन करना अत्यधिक जोखिम भरा कदम होता है| यदि आप एक सप्ताह में पाँच या अधिक अंडे खाते हैं तो आप मधुमेह के उच्च जोखिम में हैं| अंडे हृदय रोगों को भी बढ़ावा देते हैं| एक मधुमेही जो एक दिन में 2 या अधिक अंडे खाता है तो वह अपनी मृत्यु या हृदय रोग विकसित होने के खतरे को दो गुना करता है|

टाइप 1 और टाइप 2 मधुमेह के लिए चिकित्सीय पोषण उपचार

स्वस्थ व्यक्तियों और जिनको टाइप 2 मधुमेह (Diabetes Type 2) विकसित होने का खतरा हो, उनको भोजन में फलों, निम्न वसा दूध, सब्जियों और समूचे अनाज को शामिल करना चाहिए| फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ फाइबर, खनिज, विटामिन्स और अन्य महत्वपूर्ण तत्व प्रदान करते हैं| मधुमेहियों के लिए ऐसे भोजन का इस्तेमाल बहुत सहायक होता है| अभी तक ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला है कि है भोजन की शर्करा से ग्लाइसेमिया विकसित होता है|  

इसलिए, सूक्रोस और सूक्रोस युक्त भोजन से बचने का कोई कारण नहीं होना चाहिए| इस बात का भी कोई प्रमाण नहीं है कि प्रोटीन का सेवन मधुमेही किडनी का रोगी बनाता है| फिर भी, प्रोटीन के अधिक उपभोग से बचना बुद्धिमानी है| मधुमेहियों से भोजन संबंधी कोलेस्ट्रोल और संतप्त वसा का सेवन नहीं करना चाहिए|  मधुमेही भोजन संबंधी क्लेरोस्ट्रोल के प्रति संवेदनशील होते हैं| मोटापा इंसुलिन प्रतिरोध पर विपरीत प्रभाव डालता है|

इसलिए टाइप 2 मधुमेहियों को अपना वजन नियंत्रित रखना चाहिए। टाइप 2 मधुमेह (Diabetes Type 2) वाले व्यक्ति वजन कम करके इंसुलिन प्रतिरोध कम कर सकते हैं| जीवन शैली मधुमेहियों को विटामिन्स और खनिजों के सेवन के महत्व पर विशेष ध्यान देना चाहिए| मधुमेहियों को मदिरा के सेवन के बारे में सावधानी रखना चाहिए| गर्भवती महिलाओं को तो मदिरा से दूर रहना चाहिए|

योग और प्राणायाम से करें मधुमेह से बचाव  

हमारे देश के प्राचीन ऋषि वैज्ञानिकों ने आयुर्वेद के साथ साथ योग और प्राणायाम को भी स्वस्थ रहने का उपयुक्त स्रोत बताया है। नियमित योग, प्राणायाम एवं शरीर की क्षमता के अनुकूल व्यायाम करके हम अपने शरीर की अतिरिक्त वसा, जो मधुमेह का प्रमुख कारण है, को कम करके मधुमेह से बचे रह सकते हैं। जो लोग मधुमेह से पीड़ित हैं, वे लोग भी उपयुक्त व्यायाम से मधुमेह को नियंत्रित रख सकते हैं।

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