[Festival] Shardiya Navratri 2021 : अक्टूबर में शुरू हो रही हैं शारदीय नवरात्रि जाने विस्तार से

Shardiya Navratri 2021: इस साल का नवरात्रि हिंदू पंचांग के अनुसार नवरात्रि का पर्व गुरुवार ७ अक्टूबर २०21 से आरंभ होगा नवरात्रि का पर्व ( Navratri Festival ) 15 अक्टूबर को समाप्त हो जाएगा

Shardiya Navratri 2021: कलश स्थापना कब है

इस बार 7 October 2021 को कलश स्थापना की जानी है इस दिन कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 9:33 से 11:31 बजे तक रहेगा इसके अलावा आप दोपहर 3:35 से शाम 5:00 बजे के बीच भी कलश स्थापना की जा सकती है

Shardiya Navratri 2021 Calendar Overview

पहला दिन7 अक्टूबर 2021 मां दुर्गा की नवशक्ति का पहला रूप शैलपुत्री है
इस दिन इनकी पूजा की जाती है
दूसरा दिन8 अक्टूबर 2021मां ब्रह्मचारिणी पूजा की जाएगी
तीसरा दिन9 अक्टूबर 2021 मां चंद्रघंटा और मां कुष्मांडा की पूजा होती है
चौथा दिन10 अक्टूबर 2021 मां स्कंदमाता की पूजा
पांचवा दिन11 अक्टूबर 2021 मां कात्यायनी की पूजा
छठा दिन12 अक्टूबर 2021 मां कालरात्रि की पूजा
सातवां दिन13 अक्टूबर 2021 मां महागौरी पूजा
आठवां दिन14 अक्टूबर 2021 मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है
नौवां दिन15 अक्टूबर 2021 दशमी नवरात्रि पारण/दुर्गा विसर्जन
Shardiya Navratri 2021

नवदुर्गा मंत्र इन संस्कृत

नवदुर्गा मंत्र इन संस्कृत : ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते। ।

नवदुर्गा मंत्र

Shardiya Navratri 2021: Puja Vidhi

  • नवरात्रि की पूजा विधि सुबह उठकर जल्दी स्नान करे उसके बाद पूजा के स्थान पर गंगाजल डालकर उस स्थान की शुद्धि कर दें। इसके बाद आप घर में दीप प्रज्वलित करें।
  • मां दुर्गा का गंगाजल से अभिषेक करें। इसके बाद मां को अचेत सिंदूर और लाल पुष्प अर्पित करें, प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं और दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करने से मां अति प्रसन्न होती हैं और फिर मां की आरती करें मां को भोग भी लगाएं इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है

Shardiya Navratri 2021: पूजा सामग्री

  1. देवी की प्रतिमा या फोटो
  2. लाल चुनरी और लाल वस्त्र
  3. देसी घी या तेल
  4. मौली
  5. श्रृंगार सामग्री
  6. दीपक
  7. धूप
  8. नारियल
  9. चावल
  10. कुमकुम
  11. फूल
  12. पान
  13. सुपारी
  14. लोंग
  15. इलाइची
  16. कपूर
  17. फल मिठाई
  18. कलावा
  19. मिसरी

Shardiya Navratri 2021

नवरात्रि हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार ( Navratri Festival) माना जाता है| नवरात्रि के दौरान नव-दुर्गा की अवधारणा बेहद लोकप्रिय है। नवरात्रि उन नौ रातों को संदर्भित करता है जो विजयदशमी के उत्सव की ओर ले जाती हैं। देवी की पूजा नौ रूपों में की जाती है।

9-day of navratri in Hindi

Shardiya Navratri 2021

ये नौ रूप शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धरात्रि हैं। ये नौ अलग-अलग देवी-देवता नहीं हैं। वे देवी के जीवन के नौ चरणों का प्रतिनिधित्व करते हैं। नवरात्रि की नौ रातें पूरी तरह से देवी का उत्सव हैं।

मां शैलपुत्री

मां दुर्गा की नवशक्ति का पहला रूप शैलपुत्री है, जहां शक्ति पहाड़ों की देवी हैं। पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम ‘शैलपुत्री’ पड़ा। हिमालय पर्वतों का राजा है। वह अडिग है, उसे कोई हिला नहीं सकता। जब हम भक्ति का रास्ता चुनते हैं तो हमारे मन में भी भगवान के लिए इसी तरह का अडिग विश्वास होना चाहिए, तभी हम अपने लक्ष्य तक पहुंच सकते हैं।

यही कारण है कि नवरात्र के पहले दिन शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मां शैलपुत्री का वास काशी नगरी वाराणसी में माना जाता है।मां शैलपुत्री का वाहन वृषभ है इसलिए इन्हें वृषारूढ़ा भी कहा जाता है। इनके बाएं हाथ में कमल और दाएं हाथ में त्रिशूल रहता है। (Navratri Story)

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Shardiya Navratri 2021

मां ब्रह्मचारिणी

मां दुर्गा की नवशक्ति का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है। यहां ब्रह्म का अर्थ तपस्या से है। मां दुर्गा का यह स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अनंत फल देने वाला है। इनकी उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि होती है। ब्रह्मचारिणी का अर्थ तप की चारिणी यानी तप का आचरण करने वाली। देवी का यह रूप पूर्ण ज्योतिर्मय और अत्यंत भव्य है। इस देवी के दाएं हाथ में जप की माला है और बाएं हाथ में यह कमण्डल धारण किए हैं।

शास्त्रों में बताया गया है कि मां दुर्गा ने पार्वती के रूप में पर्वतराज के यहां पुत्री बनकर जन्म लिया और महर्षि नारद के कहने पर अपने जीवन में भगवान महादेव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। हजारों वर्षों तक अपनी कठिन तपस्या के कारण ही इनका नाम तपश्चारिणी या ब्रह्मचारिणी पड़ा।

अपनी इस तपस्या की अवधि में इन्होंने कई वर्षों तक निराहार रहकर और अत्यन्त कठिन तप से महादेव को प्रसन्न कर लिया। उनके इसी तप के प्रतीक के रूप में नवरात्र के दूसरे दिन इनके इसी रूप की पूजा और स्तवन किया जाता है। ( Navratri Goddness)

मां चंद्रघंटा

मां दुर्गा की नवशक्ति का तीसरा स्वरूप चंद्रघंटा का है | चन्द्रघंटा देवी के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्ध चन्द्रमा विराजमान है इसीलिये इनका नाम चंद्रघंटा पड़ा। इस देवी के दस हाथ माने गए हैं और ये खड्ग आदि विभिन्न अस्त्र और शस्त्र से सुसज्जित हैं। ऐसा माना जाता है कि देवी के इस रूप की पूजा करने से मन को अलौकिक शांति प्राप्त होती है और इससे न केवल इस लोक में अपितु परलोक में भी परम कल्याण की प्राप्ति होती है।

मां कुष्मांडा देवी

मां दुर्गा की नवशक्ति का चौथा स्वरूप कुष्मांडा देवी का है| पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां कुष्मांडा की पूजा करने से आयु, यश, बल और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है| मां कुष्मांडा की विधि विधान से पूजा करने से मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं| ऐसी मान्यता है कि मां कुष्मांडा संसार को अनेक कष्टों और संकटों से मुक्ति दिलाती हैं| इस दिन लाल रंग के फूलों से पूजा करने की परंपरा है, क्योंकि मां कुष्मांडा को लाल रंग के फूल अधिक प्रिय हैं|

मां स्कंदमाता

मां दुर्गा की नवशक्ति का पांचवा स्वरूप स्कंदमाता का है| इन्हें अत्यंत दयालु माना जाता है। कहते हैं कि देवी दुर्गा का यह स्वरूप मातृत्व को परिभाषित करता है। इनकी चार भुजाएं हैं। इनकी दाहिनी तरफ की ऊपर वाली भुजा में भगवान स्कंद गोद में हैं और दाहिनी तरफ की नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प है। बाईं तरफ की ऊपरी भुजा वरमुद्रा में और नीचे वाली भुजा में भी कमल हैं। माता का वाहन शेर है। स्कंदमाता कमल के आसन पर भी विराजमान होती हैं इसलिए इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है।

मां कात्यायनी

9-day of navratri in Hindi
9-day of navratri in Hindi

मां दुर्गा की नवशक्ति का छठा स्वरूप कात्यायनी का है| मान्यता है कि इनकी पूजा से व्यक्ति को अपनी सभी इंद्रियों को वश में करने की शक्ति प्राप्त होती है। इन्हें दानवों, असुरों और पापियों का नाश करने वाली देवी कहा गया है। मां कात्यायनी की चार भुजाएं हैं और इनकी सवारी सिंह है। जिन कन्याओं के विवाह में देरी आती है उनके लिए भी मां के इस स्वरूप की अराधना फलदायी मानी जाती है। (Shardiya Navratri 2021)

मां कालरात्रि

मां दुर्गा की नवशक्ति का सातवां स्वरूप कालरात्रि का है| मां कालरात्रि का रंग कृष्ण वर्ण का है, काले रंग के कारण उनको कालरात्रि कहा गया है| चार भुजाओं वाली मां कालरात्रि दोनों बाएं हाथों में क्रमश: कटार और लोहे का कांटा धारण करती हैं| सिर के बाल बिखरे हुए हैं और गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला है। इस देवी के तीन नेत्र हैं।

यह तीनों ही नेत्र ब्रह्मांड के समान गोल हैं। इनकी सांसों से अग्नि निकलती रहती है। यह गर्दभ की सवारी करती हैं। मां दुर्गा ने असुरों के राजा रक्तबीज का संहार करने के लिए अपने तेज से मां कालरात्रि को उत्पन्न किया था| देवी कालरात्रि को काली, महाकाली, भद्रकाली, भैरवी, रुद्रानी, चामुंडा, चंडी और दुर्गा के कई विनाशकारी रूपों में से एक माना जाता है|

मां महागौरी

मां दुर्गा की नवशक्ति का आठवां स्वरूप महागौरी का है| नवरात्रि के आठवें दिन का महत्व बहुत अधिक होता है। इस दिन कन्या पूजन भी किया जाता है। मां महागौरी का रंग अंत्यत गोरा है। इनकी चार भुजाएं हैं और मां बैल की सवारी करती हैं। मां का स्वभाव शांत है। मां के इस रूप के पूजन से शारीरिक क्षमता का विकास होने के साथ मानसिक शांति भी बढ़ती है। माता के इस स्वरूप को अन्नपूर्णा, ऐश्वर्य प्रदायिनी, चैतन्यमयी भी कहा जाता है। (Shardiya Navratri 2021)

मां सिद्धिदात्री

मां दुर्गा (Durga Puja 2021) की नवशक्ति का नौवां स्वरूप माँ सिद्धिदात्री का है| भक्तवत्सला जगदंबा माँ दुर्गा की उपासना की उत्तमावस्था है– महानवमी! पूर्ण निष्ठा से की गई साधना इस दिन सिद्धि में परिणत होती है। नौवें रूप में जीवनमुक्तता की अवस्था प्रदान करनेवाली मोक्षदा-शक्ति माँ सिद्धिदात्री के रूप में प्रकट होती हैं।

समस्त चर-अचर जगत् को संचालित करनेवाली, सर्वविधात्री देवी दुर्गा सिद्धि और मोक्ष प्रदात्री हैं और ऐश्वर्यप्रदायिनी भी। चार भुजाओं वाली कमलासना माँ के दाहिनी ओर के नीचे वाले हाथ में खिला हुआ कमल है, जो देखें तो सुषुप्त चक्रों के खुलने का प्रतीक है। इससे पहले के आठ दिनों में साधक अष्टसिद्धि प्राप्त करता है।

मार्कण्डेय पुराण में इन अष्ट सिद्धियों का उल्लेख भी मिलता है– अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व। इस प्रकार माँ दुर्गा की आराधना का यह शक्ति पर्व संपन्न होता है| (Shardiya Navratri 2021)


सर्वमंगलमांगल्यै शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।

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